रेड ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन पाया जाता है, जो हमारे पूरे शरीर में मौजूद कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। अगर किसी वजह से हीमोग्लोबिन का स्तर घटने लगता है तो इससे शरीर में मौजूद सभी कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। इससे व्यक्ति को अनावश्यक थकान महसूस होने लगती है, जिसे एनीमिया का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है।
भारत में एनीमिया एक बहुत बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम है। वैसे तो किसी को भी यह समस्या हो सकती है लेकिन भारत में स्त्रियों और बच्चों को अकसर इसका सामना करना पड़ता है। यह स्थिति कई बार उनके लिए जानलेवा साबित होती है। एनीमिया की 90 प्रतिशत समस्या खानपान में आयरन और अन्य पोषक तत्वों की कमी की वजह से होती है।
खानपान में पोषक तत्वों की कमी इसकी सबसे बड़ी वजह है।
भोजन में आयरन, फॉलिक एसिड, विटामिंस और प्रोटीन की कमी होने के कारण शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या घटने लगती है और इसी मेडिकल कंडीशन को एनीमिया कहा जाता है।
जंक फूड के ज्यादा मात्रा में सेवन से भी शरीर में खून की कमी हो जाती है।
पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग की वजह से भी ये समस्या हो सकती है।
एनीमिया के कुछ आनुवंशिक कारण भी होते हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति के ब्लड सेल्स में जन्मजात रूप से कुछ गड़बड़ियां होती है। जिसे थैलीसीमिया कहा जाता है।
शरीर में विटामिन डी और बी-12 की कमी होने पर शरीर की रक्त कोशिकाएं आयरन का अवशोषण नहीं कर पाती, इससे भी एनीमिया की समस्या हो सकती है।
जिन लोगों को सिलिएक डिज़ीज यानी गेहूं से बनी चीज़ों से एलर्जी होती है, उनके डाइट में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो अंततः एनीमिया का कारण बन जाती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान जो स्त्रियां आयरन के साथ फॉलिक एसिड का सेवन नहीं करतीं उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
इसी तरह क्रॉन्स नामक आंतों की बीमारी होने पर व्यक्ति की आंतें पोषक तत्वों का अवशोषण नहीं कप पातीं, इससे शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है।
लक्षण
बेवजह की थकान
सिरदर्द व चक्कर
त्वचा व नाखूनों की रंगत में सफेदी
दिल की धड़कन का असामान्य होना
आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स
भोजन के प्रति अरुचि
सीने में दर्द
हाथ-पैरों का ठंडा पड़ जाना
सेहत पर प्रभाव
एनीमिया की समस्या व्यक्ति की सेहत को कई तरह से प्रभावित करती है। इसकी वजह से स्त्रियों में मिसकैरेज या प्रीमेच्योर डिलिवरी की खतरा बढ़ जाता है।
गर्भस्थ शिशु का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता और इसमें जन्मजात रूप से ब्रेन और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।
अगर हीमोग्लोबिन का स्तर बहुत कम हो जाए तो शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए फेफड़ों और दिल को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में उपचार न मिलने में हृदय गति धीमी पड़ने या बंद होने का खतरा बढ़ जाता है।
हीमोग्लोबिन कम होने पर ब्रेन की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, इससे व्यक्ति अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता और उसकी मेमोरी कमजोर होने लगती है।
स्कूली बच्चों में एकाग्रता की कमी के लिए भी एनीमिया को ही जिम्मेदार माना जाता है।
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