पिछले 15-16 सालो में राष्ट्रीय जनता दल का जनाधार कम हो चूका है, क्या वही जनाधार वापस लेने के लिए लालू यादव के बेटे ड्रामा कर रहे है या तेज प्रताप यादव सच में कृष्णा बन के अपने भाई तेजस्वी यादव को अर्जुन बनाना चाहते है। बता दें कि करीब तीन साल बाद राजद प्रमुख लालू यादव रविवार की शाम पटना पहुंचे। लालू के पटना आने के बाद भी राजद की अंदरूनी लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। परिवार के अंदर चल रहा विवाद उस वक्त और गहरा गया जब एयरपोर्ट से साथ आये तेज प्रताप को राबड़ी आवास में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई। वह आवास के गेट से लौट गये और ऐलान कर दिया कि जब तक प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को पार्टी से नहीं निकालेंगे, तब तक हमारा राजद से कोई मतलब नहीं है।
इसके पहले राबड़ी देवी पटना आई थी तो सबसे पहले तेज प्रताप के आवास पर गई थीं। लेकिन तब तेज प्रताप उनसे मिले बिना ही घर से निकल गये थे। उसके दो-तीन दिन बाद राबड़ी देवी दिल्ली वापस लौट गई और बोल दिया कि लालूजी की तबियत खराब है वह अभी नहीं आएंगे। लेकिन, फिर लालू प्रसाद के आने का कार्यक्रम अचानक बना तो लगा कि वह अंदरूनी खींचतान को बंद कराने में सफल होंगे।
#WATCH | Patna: RJD leader Tej Pratap Yadav met his father Lalu Prasad Yadav at the latter's residence.
Tej Pratap was protesting outside Lalu Prasad's residence alleging that he was stopped by "RSS agents" from meeting his father. pic.twitter.com/eXGbyJvNTO
— ANI (@ANI) October 24, 2021
तेजप्रताप ने अपना दर्द मीडियाकर्मियों से साझा किया. उन्होंने कहा, ‘आज खुशी का दिन था, लेकिन सब बर्बाद हो गया। हमलोगों ने पूरी कोशिश की इसे बचाने के लिए, लेकिन लोगों ने मेरी बेइज्जती की, मजाक उड़ाया. सुनील सिंह, जगदानंद सिंह और संजय ने माहौल बेकार कर दिया। बहुत दुखी हो रहा हूं. आंसू बह रहे हैं। लोगों ने पार्टी बर्बाद करने का बीड़ा उठा लिया है. ये सब वही आरएसएस वाले लोग हैं, जिन्होंने पिताजी को जेल भेजा था। शिवानंद तिवारी ने पिताजी को जेल भेजा था। वैसे-वैसे लोगों को पार्टी में रखा गया है. जो मेहनती हैं, काम कर रहे हैं, उन्हें किनारे किया गया है’।
बहरहाल अब लालू यादव ने खुद पहल की और बेटे तेजप्रताप के आवास पर गए और उन्हें मना लिया है। दोनों पिता-पुत्र के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। तेजप्रताप भी पिता के आने से काफी खुश दिखाई दे रहे हैं, और पिता के पाव को दूध से धोया भी।