कोविड-19 महामारी के कारण, 2021 में की जाने वाली जनगणना और जनगणना से संबंधित अन्य गतिविधियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा स्थगित कर दिया गया है। जनगणना देश में जनसंख्या के आकार, वितरण और सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जनसांख्यिकीय संबंधी जानकारी और अन्य विवरणों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। जनगणना 2021 को दो चरणों में कराने का फैसला किया गया था यानी अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान सूचीकरण और मकानों की गणना तथा 9 से 28 फरवरी 2021 के दौरान जनसंख्या की गणना लेकिन कोरोना महामारी की वजह से जनगणना संबंधी फील्ड गतिविधियों को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

भारत में जनगणना, पहली बार वर्ष 1872 में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो के अधीन शुरू की गई थी। जनगणना समाज में उत्थान करने हेतु नई नीतियों, सरकारी कार्यक्रमों को तैयार करने में सहायता प्रदान करता है। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी, 2011 तक भारत की जनगणना 15 बार की जा चुकी है। यह हर 10 वर्ष बाद कराई जाती है। भारत की पहली संपूर्ण जनगणना 1881 में हुई। 1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है।1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं।

भारत में दशकीय जनगणना के संचालन का दायित्व भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय सौंपा गया है। जनगणना, निम्नलिखित विषयों पर जानकारी के सबसे विश्वसनीय स्रोतों में से एक है:

जनसांख्यिकी
आर्थिक गतिविधियां
साक्षरता और शिक्षा
आवास और घरेलू सुविधाएं
शहरीकरण, प्रजनन और मृत्यु दर
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति

अब तक जनगणना की प्रक्रिया में हर घर का दौरा करना और फॉर्म भरना शामिल था। इस साल, घर-घर जाने वाले श्रमिकों के पास टैबलेट या स्मार्टफोन होंगे जो उन्हें डिजिटल रूप से जानकारी दर्ज करने देंगे।इसके लिए स्व-गणना का प्रावधान है, आंकड़ों के संग्रह के लिए एक मोबाइल ऐप और जनगणना से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए एक जनगणना पोर्टल होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले घोषणा की थी कि 2021 की जनगणना एक मोबाइल फोन एप्लिकेशन के माध्यम से की जाएगी। पारंपरिक कलम और कागज से दूर जाने का फैसला डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए लिया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के बजट में पहली डिजिटल जनगणना के लिए 3,726 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

 

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