प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में “समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता” पर उच्च स्तरीय खुली चर्चा की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से UNSC के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों ने भी हिस्सा लिया।
खुली बहस की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि समंदर हमारे भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन हमारी इस साझा समुद्री धरोहर को आज कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि पायरेसी और आतंकवाद के लिए समुद्री रास्तों का दुरुपयोग हो रहा है। अनेक देशों के बीच समुद्री विवाद हैं और जलवायु परिवर्तन तथा प्राकृतिक आपदाएं भी समुद्री क्षेत्र से जुड़े विषय हैं।
Chairing the UNSC High-Level Open Debate on “Enhancing Maritime Security: A Case For International Cooperation”. https://t.co/cG5EgQNENA
— Narendra Modi (@narendramodi) August 9, 2021
पीएम मोदी के पांच मूल सिद्धांत
पहला सिद्धांत: हमें वैध समुद्री व्यापार से बाधाएं हटाने होंगे। हम सभी की समृद्धि मैरीटाइम ट्रेड के सक्रिय फ्लो पर निर्भर है। इसमें आई अड़चने पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हो सकती हैं।
दूसरा सिद्धांत: समुद्री विवाद का समाधान शांतिपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर ही होना चाहिए। आपसी विश्वास और आत्मविश्वास के लिए यह अति आवश्यक है। इसी माध्यम से हम वैश्विक शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
तीसरा सिद्धांत: हमें प्राकृतिक आपदाओं और non-state actors द्वारा पैदा किए गए समुद्री खतरे का मिल कर सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने कई कदम लिए हैं। साइक्लोन, सुनामी और प्रदूषण संबंधित समुद्री आपदाओं में हम फर्स्ट रेस्पॉन्डर रहे हैं।
चौथा सिद्धांत: हमें समुद्री वातावरण और समुद्री संसाधन को संजो कर रखना होगा। जैसा कि हम जानते हैं, महासागर का जलवायु पर सीधा प्रभाव होता है और इसलिए, हमें अपने समुद्री वातावरण को प्लास्टिक और तेल का रिसाव जैसे प्रदूषण से मुक्त रखना होगा।
पांचवा सिद्धांत: हमें जिम्मेदार समुद्री संपर्क को प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तो स्पष्ट है कि समुद्री व्यापार को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण आवश्यक है, लेकिन, ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के विकास में देशों की राजकोषीय स्थिरता और अवशोषण क्षमता को ध्यान में रखना होगा।