बिहार की आरक्षण प्रणाली फिर से चर्चा में है, इस बार प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी के लिए नया नियम आया है की 25% आरक्षण उन्हें दिया जाएगा जो सेना या अर्ध सैनिक से सेवा निवृत हो चुके है। सेना या अर्ध सैनिक से सेवा निवृत हो चुके लोगो को पहले से बिहार सरकार पुलिस में सैप के तौर पे नौकरी फि जाती है। ज़ीन्यूज़ के एक खबर के अनुसार बिहार सरकार ने इस संदर्भ में निजी सिक्योरिटी एजेंसी के लिए विशेष दिशा निर्देश भी जारी कर दिया है। गृह विभाग की ओर से निजी सुरक्षा एजेंसियों को एक विशेष निर्देश जारी किया गया है। जिसके मुताबिक अब सिक्योरिटी गार्ड की बहाली में एजेंसियों को रिटायर सैनिकों के लिए 25 फीसदी सीट आरक्षित रखनी होगी। बिहार में लगभग ऐसी 400 निजी सिक्योरिटी एजेंसियां हैं, जहां पर ये नियम लागू होगा। इसके साथ ही सरकारी विभाग और कार्यालयों में काम करने वाले निजी सुरक्षा गार्डों में भी भूतपूर्व सैनिकों के लिए 25 फीसदी सीट रिजर्व की जाएंगी। सरकार ने निजी सुरक्षा एजेंसियों पर निगरानी बढ़ाने का भी फैसला लिया है। इसके अलावा निजी एजेंसियां जिन लोगों को बहाल करेंगी उनके प्रशिक्षण को लेकर भी उन्हें विशेष ध्यान देना होगा। गार्ड का प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों का प्रमाणीकरण भी करने की तैयारी है।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस बाबत निर्देश जारी कर दिया है। इस संदर्भ में सैनिक कल्याण निदेशालय को शीघ्र ही केंद्रीय पोर्टल भी बनाने का निर्देश दिया गया है। ताकि सुरक्षा एजेंसियों को उनके यहां रोजगार के लिए इच्छुक सैनिकों से संपर्क करने में आसानी हो सके।पिछले दिनों निजी सुरक्षा एजेंसियों के साथ हुई गृह विभाग की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है। निजी सुरक्षा एजेंसियों को बिहार प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी रुल्स-2011 का कड़ाई से पालन करने का भी निर्देश दिया गया है।
महिलाओं को सशक्त और सक्षम बनाने की मुहिम बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने नौकरियों में महिलाओं को पहले से 35 प्रतिशत का आरक्षण दे रखा है।महिलाओं के लिए राज्य सरकार ने हाल में ही मेडिकल और इंजीनियर कॉलेजों में नामांकन में आरक्षण का प्रावधान किया है। एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। खेल विश्वविद्यालय में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है।
पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं के लिए आधी सीटें आरक्षित हैं। बिहार देश का पहला राज्य हैं जिसने न सिर्फ पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं को आरक्षण दिया बल्कि उनके लिए 50 प्रतिशत पद भी आरक्षित श्रेणी में रखे गए।राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। वहीं राज्य सरकार द्वारा नौकरियों में महिलाओं को दिए गए 35 प्रतिशत आरक्षण के अनुपात में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में महिला शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। बिहार देश का पहला राज्य है जिसने सिपाही से लेकर दारोगा तक की सीधी नियुक्ति में 35 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया है। सिपाही और दारोगा की बहाली में इसके अतिरिक्त 3 प्रतिशत पद पहले से पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(3) महिलाओं के पक्ष में सुरक्षात्मक भेदभाव की अनुमति देता है। बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार, राज्य की महिला श्रम शक्ति भागीदारी (FLFP) दर अखिल भारतीय औसत की तुलना में कम थी। बिहार के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 6.4% और 3.9% महिलाएं कार्यरत थीं, जबकि अखिल भारतीय आंकड़े क्रमशः 20.4 और 24.6% थे। विश्व बैंक द्वारा जून 2020 में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी (FLFP) दक्षिण एशिया में सबसे कम है।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने आरक्षण की कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया था। ऊर्ध्वाधर आरक्षण (Vertical Reservation) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के आरक्षण को संदर्भित करता है। क्षैतिज आरक्षण (Horizontal Reservation) के तहत ऊर्ध्वाधर श्रेणियों से एक विशेष वर्ग जैसे- महिलाओं, बुजुर्गों, ट्रांसजेंडर समुदाय और विकलांग व्यक्तियों आदि को निकालकर आरक्षण दिया जाता है।