भारत की पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर टोक्यो में कांस्य पदक जीता है। मास्को में 1980 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से यह हॉकी में भारत का पहला ओलंपिक पदक है। यह दोनों टीमों के बीच एक रोमांचकारी मामला था जो अंतिम कुछ सेकंड में भी मैच में गहमागहमी बनी थी। अंतिम के 6 सेकंड में भी जर्मनी को कार्नर मिला था जिसमे वो कामयाब नहीं हुए, नहीं तो मैच 5-5 के बराबरी में चला जाता।

भारत के लिए ये जीत इतना मायने रखता है की सोशल मीडिया के पोस्ट्स से पता चलता है की हॉकी में मैडल जीतना एक देश के लिया इतना जरुरी हो गया था। सभी न्यूज़ चैनल और डिजिटल मीडिया पे बस हॉकी की चर्चा है। सिमरनजीत सिंह ने ओई हॉकी स्टेडियम में भारत के लिए दो गोल किए, साथ ही हार्दिक सिंह, हरमनप्रीत सिंह और रूपिंदर पाल सिंह ने भी 1 -1 गोल करके स्कोरशीट में अपना नाम जोड़ा। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है, और आज की मौजूदा युवा पीढ़ी ने बस किताबो में पढ़ा की राष्ट्रीय खेल हॉकी है, कभी टीम इंडिया ने कोई बड़ा ख़िताब नहीं जीता है 1980 के मॉस्को ओलिंपिक के बाद।
इस जीत का पूरा श्रेय भारतीय टीम को खिलाड़ियों के साथ उन लोगो को भी जाता है जिनकी मदद से भारतीय टीम आज ये ऊंचाई देख रही है। मनप्रीत सिंह संधू 2017 से ही भारत के कप्तान रहे है, 1992 में जन्मे मनप्रीत पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान पद्मश्री परगट सिंह से प्रेरित थे, जो मनप्रीत के मीठापुर गांव के रहने वाले हैं। टोक्यो ओलिंपिक में वह उद्घाटन समारोह के दौरान ध्वजवाहक भी थे, पर सिर्फ कप्तान ही नहीं इस जीत के नायक थे, बाकि खिलाड़ियों का का भी योगदान उतना ही महत्वपूर्ण था, चाहे वो गोल कीपर श्रीजेश जो की पूर्व में भारत के कप्तान भी रहे है, या सिमरनजीत सिंह हो या रूपिंदर पाल सिंह। इस जीत का उतना ही श्रेय टीम के ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्रैहम रीड को जाता है, जिनके मार्गदर्शन से टीम आज ब्रोंज मैडल जीत पायी है।

इस जीत में सबसे बड़ा योगदान खिलाड़ियों की मेहनत का है, 2018 में सहारा ने टीम इंडिया की स्पोन्शिप छोड़ दी थी, ऐसे बुरे समय में टीम के स्पॉन्सरशिप का जिम्मा उठाया श्री नवीन पटनायक जी की नेतृत्व वाली ओडिसा सरकार ने। 2018 में ओडिशा सरकार ने अगले 5 वर्षों में पुरुष और महिला हॉकी टीमों को प्रायोजित करने के लिए हॉकी इंडिया के साथ 100 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर किए। टाटा समूह के सहयोग से, 2018 में राज्य सरकार ने भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में ओडिशा नेवल टाटा हॉकी हाई-परफॉर्मेंस सेंटर (एचपीसी) की स्थापना भी की।

ओडिसा ने पिछले कुछ वर्षों में प्रमुख हॉकी टूर्नामेंटों की मेजबानी भी की है। इसने 2018 में विश्व कप, 2014 चैंपियंस ट्रॉफी और 2017 में हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल की मेजबानी की। ओडिशा दूसरी बार पुरुष हॉकी विश्व कप का मेजबान है, जो 2023 में भुवनेश्वर और राउरकेला में खेला जाना है। राउरकेला में, पटनायक सरकार 20,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता वाले देश के सबसे बड़े हॉकी स्टेडियम का निर्माण कर रही है, जिसका नाम बिरसा मुंडा के नाम पर रखा जाएगा। ओडिसा सरकार ने नाही सिर्फ खेल के बुनियादी ढांचे को विकसित किया पर साथ में राष्ट्रीय टीमों को प्रायोजित कर भारत को कांस्य पदक जीता में मदद की।

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