रक्षा मंत्रालय ने आज मेगा पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए औपचारिक निविदा जारी की, वही दूसरी तरफ दूरसंचार विभाग भारतनेट के विकास (निर्माण, उन्नयन, संचालन और रखरखाव और उपयोग) के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित की है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए प्रोजेक्ट 75 (इंडिया) नामक छह AIP फिटेड कन्वेंशनल सबमरीन के निर्माण के लिए स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत पहले अधिग्रहण कार्यक्रम के लिए रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल (RFP) जारी किया है। 6 पनडुब्बियों वाली परियोजना की लागत 40,000 करोड़ रुपये से अधिक है। यह परियोजना न केवल मुख्य पनडुब्बी/जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने में मदद करेगी, बल्कि पनडुब्बियों से संबंधित पुर्जे/उपकरणों के निर्माण के विकास को भी बढ़ाएगी। इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की भविष्य की जरूरतों के लिए हथियार प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए सार्वजनिक / निजी क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करना होगा। यह सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करते हुए व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। नौसेना ने 2030 से पहले अपनी क्षमता को बढ़ाकर छह परमाणु पनडुब्बियों सहित 24 नई पनडुब्बियों का अधिग्रहण करने की योजना बनाई है।भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 15 पारंपरिक पनडुब्बियां और दो परमाणु पनडुब्बी हैं।
वही दुरी तरफ दूर संचार विभाग ने भारतनेट परियोजना के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत निविदा आमंत्रित की है। यह परियोजना केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में अनुमानित 3.61 लाख गांवों (ग्राम पंचायतों सहित) को कवर करेगी।मौजूदा भारतनेट मुख्य रूप से ब्लॉक और जीपी के बीच ऑप्टिकल फाइबर बिछाकर देश की सभी ग्राम पंचायतों को जोड़ रहा था। भारतनेट का दायरा अब देश के लगभग सभी 6.43 लाख गांवों को जोड़ने के लिए बढ़ा दिया गया है। दूरसंचार विभाग की ओर से भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) ने 16 राज्यों में 9 अलग-अलग पैकेजों में सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से भारतनेट के निर्माण, संचालन और रखरखाव और उपयोग के लिए 30 साल की अवधि के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित की है। इस परियोजना के तहत, सरकार अधिकतम रु 19041 करोड़ का अनुदान प्रदान करेगी। भारतनेट भारत की प्रमुख परियोजना है और इसे शहरी और ग्रामीण भारत के बीच डिजिटल विभाजन को कम करने के उद्देश्य से ‘डिजिटल इंडिया’ की रीढ़ माना जाता है।